मेरे बेटे को सिखाना
कि सभी न्यायशील नहीं होते
सभी सच्चे नहीं होते।
उसे यह भी सिखाना
कि संसार में दुष्ट होते हैं तो आदर्श नायक भी
कि जहाँ स्वार्थी राजनीतिज्ञ होते हैं
वहीं समर्पित नेता भी
कि जीवन में शत्रु हैं तो मित्र भी।
उसे बताना कि मेहनत से कमाया एक रुपया
मुफ्त में मिले पाँच रुपये से अधिक मूल्यवान है।
उसे सिखाना पराजित कैसे हुआ जाता है
और जीतने में कितना आनन्द है।
यदि तुम सिखा सको तो सिखाना
कि ईर्ष्या से दूर कैसे रहा जाता है
कि धौंस जमाने वालों को
हराना कहीं आसान है।
तुम करा सको तो उसे
पुस्तकों के आश्चर्य—लोक की सैर जरूर कराना
लेकिन उसे इतना खाली समय भी देना
कि वह नीले आकाश में विचरण करते पंछियों
और धूप में मंडराती मधुमक्खियों के
शाश्वत सत्य को जान सके
हरे—भरे पर्वतों की गोद में खिले फूलों को देख सके।
उसे सिखाना
कि पाठशाला में अनुत्तीर्ण होना
अधिक सम्मान जनक है
बनिस्पत किसी को धोखा देने के।
उसे अपने विचारों में आस्था रखना सिखाना
तब भी जब सभी लोग कहें कि
'यह विचार गलत है'
उसे सिखाना कि सज्जन के साथ सज्जनता
और कठोर के साथ कठोरता बरते।
मेरे बेटे को ऐसा मनोबल देना
कि वह भीड़ का अनुसरण न करे
कि जब सभी एक स्वर में गाते हों
तो वह उन्हें धैर्य से सुने
उसे सत्य की कसौटी पर जरूर परखे।
उसे सिखाना कि दुख में कैसे हँसा जाता है
उसे समझाना कि आँसू बहाना
कोई शर्म की बात नहीं।
उसे तुनक मिजाजों को लताड़ लगाना सिखाना
और यह भी कि खुशामद करने वालों से
वह सावधान रहे।
उसे सिखाना
कि अपने हृदय और आत्मा पर
मूल्य—सूची न टांके।
उसे समझाना
कि शोर करने वाली भीड़ पर कान न दे
और वह जिस बात को सही समझे
उस पर दृढ़ रहे और लड़े।
उसके साथ कोमलता से व्यवहार करना
पर अधिक दुलारना भी मत
क्योंकि अग्निपरीक्षा ही
इस्पात को सुन्दर—सुदृढ़ बनाती है।
उसे साहसी होने का धैर्य
और हमेशा अपने आप पर भरोसा करना
सिखाना
क्योंकि तभी वह
मानव जाति में अटूट विश्वास रख पायेगा।
प्रेषितः डी.आर.कोठारी
एडवोकेट, देहरादून